भारत में काल बनकर आती है बाढ़, 64 सालों में ली 1 लाख जानें, और बिगड़ेंगे हालात

में ली 1 लाख जानें, और बिगड़ेंगे हालात नई दिल्ली. पिछले कई दिनों से बाढ़ की वजह से मुकाबले में तेजी से बढ़ी हैं. क्लाइमेट चेंज घटनाओं का खतरा बना रहता है, लेकिन बाढ़ के पीछे देश का एक बड़ा हिस्सा बुरी तरह प्रभावित है, की वजह से एक्सट्रीम वेदर ईवेंट्स की सिर्फ यहीं एक वजह नहीं है. बाढ़ आने के पीछे ऐसी दक्षिण भारत के केरल और कर्नाटक, पश्चिम संख्या बढ़ रही है जैसे भारी से बहुत भारी तमाम वजहें हैं जो खुद इसानों ने पैदा की हैं. बड़े स्तर भारत के महाराष्ट्र, मध्य भारत समेत देश के दूसरे बारिश आ जाना और उसका लगातार कई पर शहरीकरण और लकड़ी की जरूरत की वजह से हिस्सों में आई बाढ़ ने इस साल अब तक 113 दिनों तक चलना. अगर भारी बारिश और जंगलों को साफ किया गया और पेड़ों की अंधाधुंध लोगों की जान ले ली है. केंद्र सरकार की तरफ बाढ़ की घटनाएं बढ़ेंगी तो इससे होने वाला कटाई की गई. जिससे पर्यावरण में असंतुलन पैदा से जारी आकड़ों के मुताबिक 1953 से 2017 के नुकसान भी बढ़ेगा. सरकार के आंकड़ों के हुआ. इसकी वजह से एक तरफ जहां मॉनसून प्रभावित बीच 64 सालों में बाढ़ की वजह से देश में 1 मुताबिक 1953 से 2017 तक बाढ़ कीहुआ तो वहीं दूसरी तरफ नदियों के कटाव की घटनाएं लाख से ज्यादा (1,07,535) लोगों की मौत हो वजह से देश भर में 8 करोड़ से ज्यादा घर भी बढ़ी हैं. वर्लड बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक चुकी है. यानी हर साल औसतन 1,654 लोगों क्षतिग्रस्त हो गए. जिससे 53,774 करोड़ दुनिया भर में बाढ़ से होने वाली मौतों में से 20 फीसदी की मौत बाढ़ की वजह से हो जाती है. इतना ही वजह से भारत में भारी बारिश और बाढ़ अब आम रुपयों का नुकसान हो गया. बाढ़ की वजह भारत में होती है. रिपोर्ट में ये चेतावनी भी दी गई है कि नहीं 1953 से 2017 के बीच बाढ़ की वजह से 60 घटना बनती जा रही है. वैज्ञानिकों विमल मिश्रा, पार्थ से फसलों को भी भारी नुकसान होता है 2017 तक क्लाइमेट चेंज की वजह से 2050 तक देश की आधी लाख से ज्यादा पशु भी अपनी जान गंवा चुके हैं. मोदी और हैदर अली ने इस रिसर्च के लिए 1901 से बाढ़ की वजह से 1 लाख करोड़ से ज्यादा कीमत की आबादी के रहन-सहन में और ज्यादा गिरावट आ मतलब हर साल औसतन 93,067 पशुओं की भी मौत 2015 के बीच के भारत के मौसम विभाग से जलवायु फसल बर्बाद हो गई. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सकती है. इस रिपोर्ट में कहा गया है, जपूरे दक्षिण बाढ़ की वजह से हो जाती है. अगर ये आंकड़े आपको और वर्षा के आंकड़ों का इस्तेमाल किया है. 1953 से 2017 के दौरान बाढ़ की वजह से हुए कुल एशिया क्षेत्र में तापमान बढ़ रहा है और यह अगले कुछ परेशान करते हैं तो ये खबर और भी ज्यादा परेशान नुकसान का आंकलन करें तो ये आंकड़ा 3,78,247 दशकों तक लगातार बढ़ता रहेगा. जलवायु परिवर्तन अब सवाल ये उठता है कि बार-बार आ रही इस बाढ़ के करने वाली है. पीछे आखिर वजह क्या है. रिसर्च के मुताबिक तेजी से करोड़ रुपयों तक पहुंच जाता है... का देश में बाढ़ की स्थिति पर व्यापक असर होगा. आईआईटी गांधीनगर के वैज्ञानिकों की एक रिसर्च के हो रहे क्लाइमेट चेंज यानि जलवा परिवर्तन की भारत में 70 से 90 फीसदी बारिश मॉनसून के चार महीनों इसकी वजह से बार-बार बाढ़ आएगी और पीने के मुताबिक आने वाले समय में बाढ़ की घटनाओं में वजह से ही ये घटनाएं बढ़ रही हैं. इस रिसर्च के लिये यानि जन से सितंबर के बीच में ही हो जाती है. ऐसा भी पानी की मांग बढ़ेगी.%% दरअसल, हमारा सारा ध्यान तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है. जर्नल वेदर एंड नहीं है कि इस दौरान सभी जगह एक समान बारिश वैज्ञानिकों ने अलग-अलग क्लाइमेटिक परिस्थितियों बाढ़ आने पर बचाव और राहत कार्यों की तरफ ही लाइमेट एक्स्ट्रीम में प्रकाशित इस रिसर्च में कहा गया में बारिश और बाढ़ की भविष्यवाणी का अध्ययन होती है. कहीं ज्यादा तो कहीं पर कम बारिश देखी रहता है, जबकि हम ऐसे काम कर सकते हैं जिससे है कि कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन की जाती है. यही वजह है कि इस दौरान बाढ़ किया तो पाया कि बाढ़ आने की घटनाएं पहले के जाती है. यही वजह है कि इस दौरान बाढ़ जैसी बाढ़ की स्थिति को पैदा होने से रोका जा सके.